Xbox biography of mahatma gandhi in hindi
महात्मा गांधी जीवनी – Mahatma Solon biography in hindi – 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ ।परंतु देश को आजाद करने में, ना जाने कितने लोगों ने अपना जीवन निछावर कर दिया ।यहां आजादी के लिए लड़ने वाले दो अलग-अलग विचारधाराओं में बटे हुए थे —
एक तरफ वह लोग थे- जो आजादी को अपनी ताकत से जीतना चाहते थे। दूसरी ओर कुछ लोग- शांतिपूर्वक अहिंसा के मार्ग पर चलते, आजादी हासिल करना चाहते थे।
गुजरात जिले के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1969 में महात्मा गांधी जी का जन्म हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गांधी और मां का नाम पुतलीबाई था। गांधी जी का जन्म पोरबंदर शहर में हुआ था ।लेकिन जन्म के कुछ समय बाद ही उनका पूरा परिवार राजकोट मे रहने लगा। गांधीजी की प्रारंभिक शिक्षा राजकोट से हुई।
गांधीजी पहली बार 9 साल कीउम्र में स्कूल गए। वे बचपन से ही शर्मीले स्वभाव के थे और किताबों को ही अपना दोस्त मानते थे । महज 13 साल की उम्र में उनकी शादी, उनसे 1 साल बड़ी लड़की” कस्तूरबा” से कर दी गई । जब वे 15 साल के थे ,उनके पिता का निधन हो गया। पिता के निधन के बाद 1 साल बाद, उनकी संतान हुई लेकिन जन्म के कुछ समय बाद ही उसकी मृत्यु हो गई। इससे गांधी जी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। लेकिन इन कठिन परिस्थितियों मे भी गांधी जी ने स्वयं को संभाला ।
1887 में उन्होंने अहमदाबाद से हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की और आगे चलकर कॉलेज से “लॉ” की पढ़ाई पूरी की। लेकिन 1888 में जब गांधीजी दूसरी बार पिता बने तो कस्तूरबा नहीं चाहती थी कि वह अपने परिवार को छोड़कर दूर कहीं दूर रहें ।लेकिन 4 सितंबर 1988 को गांधीजी पढ़ाई करने लंदन चले गए और 1891 को पढ़ाई पूरी करके भारत वापस आए ।
हालांकि विदेश से पढ़ाई करने के बाद भी उन्हें भारत आकर, नौकरी ढूंढने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा। 1893 में उन्हें “दादा अब्दुल्ला एंड कंपनी “में नौकरी मिल गई ।हालांकि इस नौकरी के लिए उन्हें साउथ अफ्रीका जाना पड़ा ।साउथ अफ्रीका में बिताए गए उनके साल, अपने जीवन में बिताए गए सालों में सबसे कठिन थे। क्योंकि वहां पर उन्हें भेदभाव का बहुत सामना करना पड़ा। हालांकि इन्हीं भेदभाव ने उन्हें इतना सक्षम बना दिया था कि वह लड़ने के लिए हर वक्, पूरी तरह से तैयार रहते थे।
यूं तो तो गांधीजी को 1 वर्ष के लिए ही साउथ अफ्रीका भेजा गया था। लेकिन वहां रह रहे भारतीयों और आम लोगों के हक के लिए गांधीजी अगले 20 वर्षों तक लड़ते रहे ।इसी दौरान उन्होंने” नेटल भारतीय कांग्रेस “की स्थापना की ।और साउथ अफ्रीका मे रहते हुए गांधी जी ने “सिविल राइट्स एक्टिविस्ट् “के रूप में अपनी पहचान बना ली थी।
फिर “गोपाल कृष्ण गोखले” जो इंडियन नेशनल कांग्रेस के बड़े नेता थे। उन्होंने गांधी जी से भारत वापस आकर ,अपने देश को आजाद करवाने के लिए ,लोगों की मदद करने की बात कही ।
1915 में गांधी जी भारत वापस आ गए ।यहां पर “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस” में शामिल हो गए ।और भारत की आजादी में अपना सहयोग देना शुरू कर दिया।
भारत के अंदर महज कुछ सालों में वे लोगों के चहेते बन गए और अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए उन्होंने भारत के लोगों में एकता की गांठ बांध दी ।यहां तक कि उन्होंने अलग-अलग धर्मों और जातियों के लोगों को भी एक साथ लाने का काम किया।
1922 में गांधी जी ने “असहयोग आंदोलन “चलाया जिसमें अंग्रेजी चीजों का इस्तेमाल भारतीय लोगों ने लगभग बंद ही कर दिया था ।और जब ये आंदोलन काफी सफल साबित होने लगा तब महात्मा गांधी जी को दो वर्षों के लिए जेल भेज दिया गया। गांधी जी के जेल जाने पर लोगों में बहुत गुस्सा आया और इस वजह से पूरा भारत एक होने लगा ।
इस कड़ी में मार्च 1930 में “दांडी यात्रा” को भी अंजाम दिया गया। जिसमें 60,000 लोगों की गिरफ्तारी हुई। इसी तरह आगे भी गांधी जी के नेतृत्व में कई और आंदोलनों को अंजाम दिया जाता रहा ।
इस दौरान गांधीजी की बहुत बार गिरफ्तारी भी हुई ।
लेकिन गांधी जी द्वारा लगाई चिंगारी ,अब लोगों के भीतर आग बन कर ,जलने लगी थी और यही वजह थी कि गांधीजी के साथ बाकी क्रांतिकारियों ने मिलकर 1947 में देश को आजाद कराने में महत्वपूर्ण सहयोग दिया और 15 अगस्त 1947 में भारत देश आजाद हो गया।
हालांकि अभी देश के अंदर आजादी का जश्न चल ही रहा था ।तभी 30 जनवरी 1948 को” नाथूराम गोडसे “ने गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी ।और इस घटना से ना केवल देश में वरन विदेशों में भी शोक फैला दिया ।
15 नवंबर 1949 को गांधीजी के हत्यारे ,नाथूराम गोडसे को फांसी दे दी गई। जब तक गांधी जी जीवित रहे, तब तक वह “अहिंसा “को हर चीज का जवाब मानते रहे । इस सिद्धांत के दम पर उन्होंने अपनी पहचान बनाई। हालांकि वे अब हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी सीख, उनके सिद्धांत आज भी पूरी दुनिया मानती है ।